एक एहसास फिर से, कुछ अल्फाज फिर से
एक एहसास फिर से,
कुछ अल्फाज फिर से
सालो पहले जिसने था लूटा,
कुछ अल्फाज फिर से
सालो पहले जिसने था लूटा,
वहीं अंदाज़ फिर से।
ये कोई और है जो अब दिखता है,
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
ऐसी थी ठोकर वो, कभी संभला ही नहीं था,
सालों है गुज़रे, में ठहरा वहीं था।
कुछ ऐसे ज़ख्म, जो दिल पे बने थे,
मेरा टूट के बिखर जाना ही सही था।
ना जाने क्यों आज ऐसा लगा है,
खुशी का आदाब फिर से
ये कोई और है जो अब दिखता है,
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
सालों है गुज़रे, में ठहरा वहीं था।
कुछ ऐसे ज़ख्म, जो दिल पे बने थे,
मेरा टूट के बिखर जाना ही सही था।
ना जाने क्यों आज ऐसा लगा है,
खुशी का आदाब फिर से
ये कोई और है जो अब दिखता है,
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
हकीकत में उसको देखा भी नहीं है,
तस्वीर मे पर वो दिखती हसीं है।
मेरा वजूद महसूस भी ना हो उसको,
कुछ इतना अंजान वो नाज़नीन है।
अंधेरा था गहरा जो सालो है देखा,
एक महताब फिर से
ये कोई और है जो अब दिखता है,
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
तस्वीर मे पर वो दिखती हसीं है।
मेरा वजूद महसूस भी ना हो उसको,
कुछ इतना अंजान वो नाज़नीन है।
अंधेरा था गहरा जो सालो है देखा,
एक महताब फिर से
ये कोई और है जो अब दिखता है,
पर वहीं है रूबाब फिर से।।
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