में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी..

ऐसा नहीं है के तू ज्यादा कुछ अच्छा लिखती है
में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी उनमें तू दिखती है।
तेरी सांसे, तेरी धड़कन, तेरा वो सारा अल्लहड़पन
तेरी हर एक बात , लफ्जो मेे तू रखती है।
में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी उनमें तू दिखती है।

उन गीतों मेे मैं तेरे दर्द पढ़ता हूं
तेरे टूटे सपनों के टुकड़े चुनता हूं
कुछ बूंदे तेरे आंसू की भी होती है
तुझसे बिछड़ने के गम मेे अब भी रोती है
कभी कहा होगा तूने, वो सारी बाते वो अब कहती है
में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी उनमें तू दिखती है।

वहीं कहीं लफ्जो मेे अब भी वो खंजर पड़ा है
दर्द के तेरी वजह बने सीने में जड़ा है
छलनी दिल तो अब तक तूने सी लिया होगा
उसका घाव मैंने देखा रूह तक पड़ा है
कैसे सह लेती है इतना, कैसे जी लेती है
में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी उनमें तू दिखती है।

मेरी बातो का मतलब तू अब ढूंढा ना कर
मेरे इरादे क्या है ये सोचा ना कर
एक पुस्तक है तू, मै बस तुझको पढ़ता हूं
तेरे बीते कल से, तू बन के लड़ता हूं
कैसे इतने बोझ तले तू जी लेती है
में तेरे गीत पढ़ता हूं, क्योंकी उनमें तू दिखती है।


Comments

  1. This is so touching. To sense, feel and understand a person through their words is beautiful.

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