फिर से

फिर एक नई रात, फिर एक नया जाम
फिर से  मचलती लौ, फिर लबो मेे तेरा नाम
फिर से तेरी आहट का कानों में गूंजना
फिर से तेरी यादों को मेरा दुआ सलाम

फिर से तेरा मेरी यादों में चहकना
फिर से तेरा मेरी सांसों में महकना
फिर से तेरे छूने का जैसे अहसास सा हो
फिर से यही सरसराता तेरा लिबास सा हो
फिर से कोई हल्की हवा लाए तेरा पैगाम
फिर एक नई रात, फिर एक नया जाम

फिर से मेरे तकिए मेे अभिभी मिलते हुए तेरे बाल
फिर से जुल्फे समेटते पीछे से तेरी चाल
फिर से तेरा वो मुझे गुस्से से डांटना
फिर से तेरा वो मेरी चीजे समेटना
फिर से तेरी उन ज़ील सी नज़रों का मै गुलाम
फिर एक नई रात, फिर एक नया जाम

फिर से तेरा मेरे संग होना मुमकिन भी है नहीं
फिर से मेरी बाहों में तेरी करवट भी है नहीं
फिर से चादरों में पड़ती सिलवटें भी बंद है
फिर से तुझे देखू ये बहाने भी चंद है
फिर से वहीं कातिल कशिश, फिर से वहीं अंजाम
फिर एक नई रात, फिर एक नया जाम


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