Sunhari dhoop me...

सुनहरी धूप में, सुनहरे केसु संभालते हुए मैंने आज एक परी देखी
माथे पे शीकन थी उसके, के धूप बहुत तेज़ है, आज गर्मी भी ज़्यादा है.
क्यूँ ना होगी? सूरज का भी तो उसे देखने का इरादा है.
क़ुदरत की सबसे हसीन तस्वीर, मैंने आज ज़मीं पे देखी.

फिर उसने बातें की, ढेर सारी बातें की,
कैसे उसने दिन है बिताए, लमहों से मुलाक़ातें की.
उसका जगना, उसका सोना, उसके कुछ पल का जाया होना,
हर बात पे साथ में उसका, खिलखिलाती सुबह सा हँसना.
उसकी बातें सुनने बहाने, मैंने वो रूह हसीन देखी,
क़ुदरत की सबसे हसीन तस्वीर, मैंने आज ज़मीं पे देखी.

उसका साथ में होना जैसे आज ख़ुदा का नूर था,
हर अच्छें ख़्वाबों का टूटना, ये भी तो दस्तूर था.
उसकी बातें, उसका हँसना कैसे में समेट लूँ,
कोशिश शिद्दत से की कही उसे बाहोमे ना लपेट लूँ.
उसी सोच में जब में डूबा, उसे राह पे चलती देखी,
जो दर्द हुआ वो कह ना पाऊँ, अपनी जान मचलती देखी.
क़ुदरत की सबसे हसीन तस्वीर, मैंने आज ज़मीं पे देखी.
सुनहरी धूप में, सुनहरे केसु संभालते हुए मैंने आज एक परी देखी...


Comments

Popular posts from this blog

Was it a mistake...

Taale me chhup ke baithaa hai..

That bright red gown and silver heels